SARASWATI SISHU MANDIR
अंतिम अपडेट: 11 अक्टूबर 2024सरस्वती शिशु मंदिर: एक ग्रामीण विद्यालय का परिचय
ओडिशा राज्य के एक ग्रामीण क्षेत्र में स्थित, सरस्वती शिशु मंदिर एक निजी विद्यालय है जो 1995 में स्थापित हुआ था। इस विद्यालय में कक्षा 1 से 6 तक की शिक्षा प्रदान की जाती है, और इसका माध्यम ओडिया भाषा है। विद्यालय में कुल 11 शिक्षक हैं, जिसमें 2 पुरुष शिक्षक और 9 महिला शिक्षक शामिल हैं।
विद्यालय की बुनियादी सुविधाओं में 8 कक्षा कक्ष, 1 लड़कों के लिए शौचालय और 1 लड़कियों के लिए शौचालय शामिल हैं। विद्यालय में बिजली की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन कोई सीमा दीवार नहीं है। विद्यालय के पास एक पुस्तकालय है, जिसमें 140 किताबें हैं, और एक खेल का मैदान भी है। पीने के पानी के लिए हैंडपंप का उपयोग किया जाता है।
विद्यालय की विशेषता है कि इसमें प्री-प्राइमरी सेक्शन भी है, और यहां 4 प्री-प्राइमरी शिक्षक कार्यरत हैं। विद्यालय कक्षा 10 के लिए "अन्य" बोर्ड और कक्षा 10+2 के लिए "अन्य" बोर्ड से संबद्ध है।
हालांकि, विद्यालय में कंप्यूटर सहायक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं है, और विकलांगों के लिए रैंप भी नहीं है। विद्यालय आवासीय नहीं है, और छात्रों को भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है।
सरस्वती शिशु मंदिर ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक प्रयास है। विद्यालय के पास पुस्तकालय, खेल का मैदान और एक प्री-प्राइमरी सेक्शन होने से बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलता है।
सरस्वती शिशु मंदिर: प्रमुख बिंदु
- स्थान: ओडिशा के एक ग्रामीण क्षेत्र में स्थित।
- स्थापना वर्ष: 1995
- शिक्षा का माध्यम: ओडिया भाषा।
- कक्षाएं: कक्षा 1 से 6
- शिक्षक: 11 (2 पुरुष, 9 महिला)
- बुनियादी सुविधाएं: 8 कक्षा कक्ष, 1 लड़कों के लिए शौचालय, 1 लड़कियों के लिए शौचालय, बिजली, पुस्तकालय, खेल का मैदान, हैंडपंप।
- प्रमुख विशेषताएं: प्री-प्राइमरी सेक्शन, कक्षा 10 और 10+2 के लिए "अन्य" बोर्ड से संबद्ध।
- अभाव: कंप्यूटर सहायक शिक्षा की सुविधा, विकलांगों के लिए रैंप, छात्रों के लिए भोजन।
सरस्वती शिशु मंदिर: शिक्षा में योगदान
सरस्वती शिशु मंदिर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। विद्यालय के पास योग्य शिक्षक, पुस्तकालय, खेल का मैदान और प्री-प्राइमरी सेक्शन जैसी सुविधाएं बच्चों को एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने में मदद करती हैं। विद्यालय के पास बिना सीमा दीवार, विकलांगों के लिए रैंप और छात्रों के लिए भोजन जैसी सुविधाओं का अभाव एक चुनौती है।
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