GTWAS DOKISEELA
अंतिम अपडेट: 11 अक्टूबर 2024GTWAS DOKISEELA: एक आश्रम शाला की कहानी
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले में स्थित, GTWAS DOKISEELA एक ऐसी प्राथमिक विद्यालय है जो उच्च प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 1-10) तक प्रदान करती है। इस विद्यालय की स्थापना 1959 में हुई थी और यह ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है।
शिक्षा का माध्यम: GTWAS DOKISEELA में शिक्षा का माध्यम तेलुगु है, जिसके माध्यम से छात्रों को ज्ञान प्रदान किया जाता है।
शिक्षकों का दल: विद्यालय में कुल 17 शिक्षक हैं, जिनमें से 12 पुरुष और 5 महिला शिक्षक हैं। ये शिक्षक छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित हैं और उन्हें बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने के लिए प्रयासरत हैं।
विद्यालय की विशेषताएं:
- आश्रम शाला: GTWAS DOKISEELA एक आश्रम शाला है, जिसका अर्थ है कि यह छात्रों को रहने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए आवास प्रदान करता है। यह शाला सरकारी आश्रम है, जो छात्रों को मुफ्त आवास और भोजन प्रदान करती है।
- विद्यालय का प्रबंधन: विद्यालय का प्रबंधन आदिवासी/सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है।
- विद्यालय के लिए बोर्ड: GTWAS DOKISEELA कक्षा 10वीं के लिए 'अन्य' बोर्ड से संबद्ध है और कक्षा 12वीं के लिए भी 'अन्य' बोर्ड से संबद्ध है।
- विद्यालय की संरचना: विद्यालय सह-शिक्षा प्रणाली पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि लड़के और लड़कियाँ दोनों एक साथ शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
- कक्षाएँ: विद्यालय में कक्षा 3 से लेकर 10वीं तक की कक्षाएँ हैं।
GTWAS DOKISEELA की चुनौतियाँ:
- विद्युत की कमी: विद्यालय में बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
- पेयजल की कमी: विद्यालय में कोई भी पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
GTWAS DOKISEELA की उपलब्धि:
- आश्रम शाला: विद्यालय के पास छात्रावास होने से छात्रों को रहने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण मिलता है। यह छात्रों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा है।
- शिक्षक दल: शिक्षकों का अनुभव और समर्पण छात्रों के शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष:
GTWAS DOKISEELA एक ऐसी विद्यालय है जो ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित है। विद्यालय की सुविधाएँ और शिक्षक दल छात्रों को बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, बिजली और पेयजल की कमी जैसी चुनौतियाँ विद्यालय के सामने हैं। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए ताकि छात्रों को एक बेहतर शैक्षिक वातावरण प्रदान किया जा सके।
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